शनिवार, 13 जुलाई 2013

एफ डी आई

पुरनका जमाना में गोरकन  के आवै  के पाहिले देस रहे सोने की चिडिया
इहे पढ़ावल गइल  रहे सम्झावल  गइल  रहे की हमनी के देस रहे सोना की चिडिया      
ओकरा  पहिले  भी लुटा इल  रहनी जा अपना कमजोरी से
मोगल सासन में अपने ही सपुतन के गद्दारी से

फेर  आपस में फुट पडल बन गइलन  जयचंद जैसन गद्दार
लुटा दिहलन माल, असबाब, बहिन बेटी मानसिंह जैसन समझदार
मोगल के रहते रहते आ गैले  जा  अंग्रेज बयापारी
ड़ीभाईड एंड रूल निति से कब्ज़ा कैलन  हिंदुस्तान  सारी

धीरे धीरे फोड़त और लडत, गोरा बयापारी  बन गइलन  शाषणधिकारी
ईस्ट इंडिया कम्पनी बन गइल  ब्रिटेन महारनी के  उतराधिकारी
बन के वुहो आयलं  रहलन सन बयापारी, लुट लह्लन  देस के सोना  चांदी सारी
200  साल ले हमनी पर राज कैलन, सभे जन्ता जानता केतना कैलंन  अत्याचारी
अब फेर कांग्रेसी सरकार ले आवतरण  बना के ऍफ़ डी आई  बयापारी
खा जैहन बांचल खुचल सारी, मारल जइहन  छोटका  कारोबारी

हमनी के आपस के फुट देख के गोरन  हिन्दुस्तान  पर राज करे लगलन
ओहिसहीं ई भी करिहन  सरकारी च्म्चन के मिलाके  लुटे लागिहन
अभी  त  बड़का  बड़का गद्दार  देसी कम विदेसी ज्यादा  भरल बाडन
जब ऐसन ऐसन  नेता विदेस के जनमल  उच्च उच्च पद पर बाडन
हिंदुस्तानी  सपूत के राष्ट्रवादि विचार धारा केहू  न मनिहन
विदेसियन के चमचा अपना तुच्छ भलाई खातिर  केहू के ना सुनिहन
देखत  रहीं जा औरो कवनो उपाय नइखे
ब्यवस्था बदले के सिवा और कौनो रास्ता नइखे

मई  में इलेक्शन  आई वोट देके देश  बंचाई
शत प्रतिशत वोट देके देश बचाइं 

बुधवार, 10 जुलाई 2013

उतरा खंड फौजी

फौजी भाई लोग तोहरा लोगन के सलामआज सबका सामने आ गइल  हाल  तमाम

देख लीं सभे सेनानियन  के कमाल
जान आपन  जोखिम में डाल  बचावतरण  राउर जानमाल
सब आपदा में बोलावल जाला  फौजियन के
चाहे तबाही समुन्द्र के आकाश के चाहे पहाडियन  के
सीना तान  के खड़ा बाडन सेवारत या  सेनानी
देस या देसबासी  के रक्षा में  जान के परवाह ना  करस सेना   
पहिलका सुनामी में नाविक और वायु सैनिंक बचवलन दक्षिण भारत के
आज के पहाड़ी बरबादी  में  थल और वायु सैनिक बचवलन  पहाड़ के
चीन पाकिस्तान त  ड़रैबे  करेलन  हिंदुस्तानी फ़ौज से
आब त  भगवानो डेरा तारन एह देस के  बहादुर जवान से
जहाँ  सेना पहुँच जाई मिट जाई तबाही के नाम भी
सड़क बनाई  लोंग पुल बनाई  रसी  के साथ भी
बचा  लिहें सबका के  उडनखटोला उडा के
देखतानी नु बीस जाना के क़ुरबानी भी देके
धन्य उ माई बाप ज़ेकर  रहलन उ  लाल
फौजियन के साथ साथ उनका के भी सलाम
फौजी भाई लोग रउरा लोगन के  सलाम
देस के  अरबो  करोर  लोगन के सलाम

नेता सब भग्लन केदार तथा  देवभूमि से
लेकिन इनका के भगाइं पहाड़ी जमीं से

आईं जा हम सभे मिल के सैनिकन के जय जय कार  करीं
इनका साथे इनका परिवार के तिरस्कार न इज्जत करीं
इनका  और कुछ न चाहीं, ना बा कौनो महत्वाकांक्षा
सारा हिंदुस्तान के लोग के प्यार पावे के बा इक्छा

केतना हजार बर्ग  किलो मीटर में फैलल  तीर्थयात्री
सबका के निकाले के, खाना खिलावे के बा जिमेवारी
 लागल बाडन  ८ ५ 0  जवान  निकाले  में खिलावे में
बिस्वास रखी हो जाई  काम दू चारे दिन में
पूरा होई उदेश्य हम न सारा देश कहता
जे लौट के आवता  ओकर आसिरबाद कहता

वायुसैनिक या सैनिक पीछे हटे  के तैयार  नइखन
विना  रनवे के हवाई जहाज और हेलीकाफ्टर  उतारतारन
जान जाई  त  जाई  तीर्थ यात्रियन  के बचाव तारन
देवभूमि में भी आपन  कर्तब्य निभावतारन
 
बहुत् गुना  भी भग्लन, नेता भी भगलन और मंत्री भी भगलन
जले काम नो पूरा होई  सेनानी वहां से न हटीहन
देस के प्रति प्रेम भैल्ला पर ऐसन जज्बात उम्ड़ेला
ऐ सी में बैठके काफी पिएल्ला  से देस से प्यार न आवेला
देवभूमि के फिर देवभूमि  बनावे के प्रोग्राम बा
भगवान  भी हार मनिहें  इ सेना के प्रतिज्ञा  बा   

रविवार, 7 जुलाई 2013

उधार

उधारी एक अइसन  शब्द  बा की सबका के कईले बा उघार
छोटका हो चाहे बड़का चाहे मझिला हो या सरकार

पहिले त हमनी गरीबन के जिए के रहे हथियार
रोज रोज मौगी लियली  जा उधार, महिना मिलला पर मरद  कैले  चुकता उधार
चाहीं या न चाहीं फेर लेवहीं के पड़ी उधार, इहे कहाले  महिन्वारी उधार
 परिवार चलावे के इहे नूं बा हंथियार

पुरनिया लोग सभे खाली नून, तेल मरीचे लेत  रहे उधार 
गाँव में साव  जी किहाँ अतने चीज के ही रहे सुमार
अब त  सब जिनिस मिलता उधार
काहे की साव  जी बन गैले  बड़का दुकानदार          

लड़कपन में सुनले रहीं जा 
"राजिंदर बाबु राजा भईले  कानून कइले जारी,
बड़का बड़का लोग चलइन्हें  कुदार
खाए के त  दाना न मिली खेती में ना अन्नाज
 तब त लेवहीं के पड़ी उधार"

सूराज के बाद संसद बन गइल, गाँधी टोपी वाला नेता आ गइलन
बहस खातिर पंडित और पटेल,  बाकि जाना ओंघाते  रह गइलन
धीरे धीरे  सब नेता हो गइलन  भ्रस्टाचारी,  बढ़ा  दिहलन उधारी के  बाजारी

अब छोटका त  छोटका मंझिला आ बड़का भी शुरू क दीहलन लेहल उधार
छोटका लिहेन दाल चावल आंटा मंझिला लिहेन फटफटिया उधार
बडकु बाबु लोग ले तरन सवख से बड़ी गाड़ी और भवन भी उधार
चुकावे के कवनो  झंझट  न  बा,  "इ ऍम आइ" (EMI)  बा नूं  चूकाइ  मालिक या सरकार

केतना ख़ुशी के बात बा आपना गांवें  में झांकी ना, छोटका किसान बा खुश्हाल 
बिज खाद ट्रेक्टर, थरेसर सब मिलता उधारी  फसल मरला पर मदद भी सरकारी
बाह रे उधारी भैया बाह रे उधारी   

अब तनी  हई  न देखीं  कोख भीनु मिले लागल उधारी
अब त  मौगीअनों  के  चकर में फंशा दिहलस उधारी
बचवे नु चाहीं, काहे के आपन फिगर के करेब ख़राबी 
बाजार में मिलता सरोगेट (surrogate) मदर ले लीं उधारी 
9 महीना बाद 2-4 लाख और बाकि ख़र्चा महिन्वारी

पईसा खातीर कोख बेच दिहली आपन देश के नारी
केहू के मिलल घर के चिराग त केहू के भरल अलमारी
एक बात निमन भइल जात पात  के भेद मिटव्लस  इ कोख उधारी 
और बड़कन के चलते बहुत गरीब के दूर भइल उधारी

बुधवार, 3 जुलाई 2013

नारी-२

अजब बात गजब  बात
दिल्ली में काहे होता इ वारदात

दिसंबर १२ छोड़ दि जा अप्रैल १३  में आईं
गोदी में खेले वाली के वहसी ऐतना सताई
विश्वास नइखे होत भारतबर्ष में ई होत बा
लेकिन जब मिडिया में देखावल जाता
त विश्वास करहीं के पडता

पहले नारी के मानल जात  रहे सुकुमार      
लेकिन अब इनका मन के बनाईं ताकतवार
गाँधी बाबा के थ्योरी  छोड़ दीं अब एक मरला पर चार मारी
 इहे बात सिखावला के अब करी तैयारी

हमनी के त उमर पाक गइल बा
लड़कियन के समझावे के बात बा
लड़कियन  के मजबूत बनावे के पडी
अपना परिवार के संभाले के पडी
नारी जाती के सम्मान से हि देश के सम्मान बा
ई बात पुरुष जाती के समझे के पडी 

नारी-१

।  यत्र नारियस्य पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता  । 

अब इ बात बेमानी हो गइल बा
नारी के जवन हालत हो  गइल बा
केहू से छुपल नइखे आस पास 
और दिल्ली में खास खास


बिटिया खेले जाई चाहे ट्यूशन सावधानी जरुरी बा
गार्जियन  के सर पर बोझ ओकनी के संगे संगे बैठल जरुरी बा
दिल्ली के  हाल सभे सुनल ह सरम  से गर्दन झुकल बा
टी वी में खूब हल्ला गुल्ला बहस मुबाहसा लेकिन रिजल्ट कुछ ना आइल  

बड़े बड़े ओहदा पर नारी भी बैठल बानी
ओ लोग से भी पूछल जाई त जवाब सुन के  गर्दन झुक जाई
जब  रटल  रटावल जवाब आई
"हमनी के भी ए बात के दुःख बा  इस बात से सदमा पहुंचल बा"
 पी ऍम  और गृह मंत्री  भी कहिहें  कमिसन बैठावल जाई

2 -4  दिन मिडिया वाला भी चिल्लाइ
गरम मसाला लगा के इज्जत हवा में उडाई
फेर सभे चुप्पो हो जाई
२ दिन बाद फेर नया कांड आ जाई

दिल्ली के बाजार के चान्दी  हो जाई 
चाए पानी और मोमबती खूब बिकाई
कवनो बात ना रिजल्ट त  कुछ ना आइ

अपने आप के बदले के पड़ी
आपन सोंच बदले के पड़ी 
व्यवस्था बदले के पड़ी

कवनो और उपाय होखे त सुनाईं जा
सभे मिल के ओकरा के सफल कराईं जा

मंगलवार, 2 जुलाई 2013

अधिकार

चारो और लड़ाई बा  अधिकार के
कर्तब्य के चिंता नइखे केहू समझदार के
जहाँ देखि तहेन लोग अधिकार  मांगता
मौलिक अधिकार  संवैधनिक अधिकार औरो न त लठमार अधिकार
इन्कलाब जिंदाबाद मुर्दाबाद तक बा खाली अधिकार खातिर
लेकिन सुनी सभे  बुझ सूझ के कर्तब्य के काइल बा गैरहाजिर

कर्तब्य करे के कहीं  तो जन्ता लोग राउर सर फोड़ दिहें जा
झुठहूँ  अधिकार सरकार से मांगीं त नेता बना दिहें जा

अधिकार के आवाज़ उठा के देखीं केतना समाज में राउर इज्जत बढ़ जाई
और गलतियो से कहीं अपने कर्म करे के कह देब  त उत्तार  दिहल जाई

अधिकार के अतना बड़ा संस्था बा संबिधान के बनावल बा
पैसा के भरमार बा, मानवाधिकार संस्था के नाम बा
लुटे के त सभे  जानेला, संस्था बना के चाहे आयोग बना के

एगो कर्तब्य संस्था बना के देखल  जव
पैसो आपण  मिह्नातो आपन के केतना पावता                           
तनी देखीं त केतना मजा अवता

एक बार सोंच के देखि जा आपण कर्तब्य क के देखीं जा
माँ  बाप के प्रति समाज गाँव के प्रति राज्य और राष्ट्र के प्रति
नेतागिरी के लालच छोडके तनी सीखीं जा सिखाई जा

केकरा प्रति का करतब बा, कम से कम  घर में ही  करी जा
काम बड़ा सुभ बा आजे शुरू कर दी जा
देश तथा राज्य खातिर कुछ तो काम कईल  जाव